सुनो भाई जो घर अपना, तुम दूर जहां में बसा आये, मेरे यार घरों को आजाना, जब भी इस माँ की पुकार आये, सिखा रहे हो ना बच्चों को, देश है वीर जवानों का, लोकगीत के बंध सभी, जादू इस देश की बातों का, बैठो वृधों के साथ कभी, जीवन का ज्ञान भी ले लेना, सजदा करना, पाँव छूना, उनको सम्मान भी दे देना, सीख यही देना सबको, कोई ज़्यादा नहीं ना कम है जी, ये वसुधा बंधी एक सोच से है, वो वासुधैव कुठूम्भकम जी, हैँ सैतालिस की पैदावर, कोई गीत विजय का गाओ रे, ओ झूम के नाचो मतवालों, कोई रज के सोहर गाओ रे, आज़ाद हुए हो जश्न करो, अरे बांध तिरंगा सीने से, हर दिन ये गौरव याद रखो, जो मिला है खून पसीने से, अरे आओ सपूतों यज्ञ करो, आहुति देदो जीवन की, इस जग में ऐसा नीर नहीं, जो आग करे ठंडी मैन की, आओ माटी से लेप करें, गंग-जमुना स्नान करें, आओ फिरसे हम सब मिलके, बस जय-२ हिंदुस्तान कहें । ©Shivam Nahar #Independence