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दिल्ली को खूनी दिल्ली बनते देखा मैंने,धर्म को मजाक

दिल्ली को खूनी दिल्ली बनते देखा मैंने,धर्म को मजाक बनते देखा मैंने,देश के जवान को शहीद होते देखा मैंने,एक माँ को जवान बच्चे के लिए रोते देखा मे़ैंने,एक बच्चे को किताबों के पन्ने बटोरते देखा मैंने,नन्हें बच्चों का पिता से उठता साया देखा मैंने,दिल्ली को दंगल बनते देखा मैंने,खौफ़ के साये में जीती मासूम जनता को पिसते देखा मैंने,खुशी के आलम को चंद भर में गमों में पासा पलटते देखा मैंने,चौरासी के दंगे पढ़े थे किताबों व आंखों देखियो से सुने थे,आज हकीकत में देखकर आँसुओं के साथ कलम से उकेरा मैंने! #saveDELHI
दिल्ली को खूनी दिल्ली बनते देखा मैंने,धर्म को मजाक बनते देखा मैंने,देश के जवान को शहीद होते देखा मैंने,एक माँ को जवान बच्चे के लिए रोते देखा मे़ैंने,एक बच्चे को किताबों के पन्ने बटोरते देखा मैंने,नन्हें बच्चों का पिता से उठता साया देखा मैंने,दिल्ली को दंगल बनते देखा मैंने,खौफ़ के साये में जीती मासूम जनता को पिसते देखा मैंने,खुशी के आलम को चंद भर में गमों में पासा पलटते देखा मैंने,चौरासी के दंगे पढ़े थे किताबों व आंखों देखियो से सुने थे,आज हकीकत में देखकर आँसुओं के साथ कलम से उकेरा मैंने! #saveDELHI