मुक़म्मल कहाँ चाँदनी है कहाँ खुशनुमा ज़िन्दगानी कहाँ रेत पे दौड़ती है कश्ती कोई बादबानी मिला है कहाँ फिर हमेशा किसी को फ़िज़ाओं का मौसम कहाँ फिर मिली है किसी को केवट सी कोई निशानी ख़ुदाया हमें ग़र ये पूछे बता के रज़ा क्या है तेरी मिटा डालते हम क़सम से तन्हाइयों की कहानी क़लम की ज़ुबाँ से कहे है ये "सानू" तुझे सुन ओ यारा बिखर जाए तो ये ग़ज़ल है बरसे तो बारिश का पानी ग़ज़ल... #ghazal #hindi #yqhindi #yqghazal #yqdidi #yqbaba #yqhindiurdu