इस दुनियां में हर इंसान ने, चेहरे पर चेहरा लगा रखा है। मुस्कुराता है लबों से मगर, दिल में गम को छुपा रखा है। फरेब की यह दुनियां है, हर किसी ने चेहरा छुपा रखा है। बनकर रहते हैं गहरे दोस्त, दिल में बैर छुपा कर रखा है। एक ऩकाब यह भी है कि खुद को खुद से ही छुपा रखा है। नजरें मिलाते नहीं अपनों से, गैरों को अपना बना रखा है। 🌝प्रतियोगिता-68 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"एक नकाब यह भी"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I