उत्कल दिवस के अवसर पर उत्कल माता वह तू ही है उत्कल माता जिसकी गोद में मैं पला-बढ़ा हूँ, जिसकी गोद में मैं घर बसाया हूँ हे उत्कल जननी ! ओड़िआ का प्राण, तुझे कोटि नमस्कार ! तेरे ही कोख से कई महावीरों ने जन्म लिये हैं देश के लिये सहीद हुए हैं दुश्मनों को मार मिटाये हैं हमारे प्यारी धरती के लिये। ओड़िआ जाती की तू जीवन है माँ, तू ही है प्राण बिंदु तेरे चरण को प्रक्षालित करती है सदैब महासिंधु। पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण, सर्वत्र तेरी ही शोभा होती है चाहे व गरीव और हो धनवान, ओड़िआ मेरा जाती कहता है। आज उत्कल दिवस पर तेरे नाम को करते हुए स्मरण यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि काम अच्छा कर, रखूंगा तेरा नाम। चिर वंदनीया चिर पूजनीया, चिर शोभनीय तू ही प्रातः, दिवस, सायं रात सदैब निर्मल है तू महामायी। तेरे गान का वंदना तेरे चरणों का पूजन सदैब मेरा मन करता है हे माता उत्कल ! ओड़िआ का प्राण, तू धन्य है माता धन्य है !! चित्तरंजन #utkal_divas #hindi