जीवन और मृत्यु (चिंतन) जीवन और मृत्यु इस प्रकृति का शाश्वत सत्य है, अर्थात जिसने इस धरती पर जीवन लिया है एक निश्चित आयु उपरांत उसकी मृत्यु भी निश्चित है। परंतु आपको नहीं लगता कि मानव प्रकृति के इस शाश्वत सत्य के साथ हद से ज्यादा छेड़खानी कर रहा है। जीवन और मृत्यु प्रकृति के मूल और अंत है एवं इनसे छेड़खानी का मतलब ईश्वर की कृति को बदलना है और इसका खामियाजा एक न एक दिन मानव जाति को भुगतना ही होगा। हम अपनी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति के अलावा अपने सुख, ऐश्वर्य, भोग, विलास के लिए आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक साधनों का उपभोग कर रहे हैं, जो तीव्रता से समाप्त हो रहे हैं और निकट भविष्य में मानव जाति के लिये अनुपलब्ध होंगे। इसी प्रकार लगातार पेड़ों का विदोहन, नए पौधे न लगाना, जनसंख्या वृद्धि कुछ ऐसे प्रमुख कारण है जो एक न एक दिन मानव जाति और इस प्रकृति के विनाश का कारण अवश्य बनेंगे। निवेदन सिर्फ इतना है कि हम अपनी मूल आवश्यकताओं के अतिरिक्त किसी भी चीज का अत्यधिक दोहन न करें, जल संरक्षण करें, पौधरोपण करें, प्रकृति का संरक्षण करें, वैकल्पिक संसाधनों का उपभोग करें, जनसंख्या नियंत्रण करें एवं प्रकृति को स्वच्छ व सुंदर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य दें। तभी हम प्रकृति द्वारा निर्धारित जीवन और मृत्यु के शाश्वत सत्य को बरकरार रख सकते हैं अन्यथा शीघ्र विनाश की ज्वालामुखी देखने के लिए तैयार रहें। जीवन और मृत्यु (चिंतन) Pic Credit :- Pinterest जीवन और मृत्यु इस प्रकृति का शाश्वत सत्य है, अर्थात जिसने इस धरती पर जीवन लिया है एक निश्चित आयु उपरांत उसकी मृत्यु भी निश्चित है। परंतु आपको नहीं लगता कि मानव प्रकृति के इस शाश्वत सत्य के साथ हद से ज्यादा छेड़खानी कर रहा है। जीवन और मृत्यु प्रकृति के मूल और अंत है एवं इनसे छेड़खानी का मतलब ईश्वर की कृति को बदलना है और इसका खामियाजा एक न एक दिन मानव जाति को भुगतना ही होगा। हम अपनी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति के अलावा अपने सुख, ऐश्वर्य, भोग, विलास के लिए आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक साधनों का उपभोग कर रहे हैं, जो तीव्रता से समाप्त हो रहे हैं और निकट भविष्य में मानव जाति के लिये अनुपलब्ध होंगे। इसी प्रकार लगातार पेड़ों का विदोहन, नए पौधे न लगाना, जनसंख्या वृद्धि कुछ ऐसे प्रमुख कारण है जो एक न एक दिन मानव जाति और इस प्रकृति के विनाश का कारण अवश्य बनेंगे। निवेदन सिर्फ इतना है कि हम अपनी मूल आवश्यकताओं के अतिरिक्त किसी भी चीज का अत्यधिक दोहन न करें, जल संरक्षण करें, पौधरोपण करें, प्रकृति का संरक्षण करें, वैकल्पिक संसाधनों का उपभोग करें, जनसंख्या नियंत्रण करें एवं प्रकृति को स्वच्छ व सुंदर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य दें। तभी हम प्रकृति द्वारा निर्धारित जीवन और मृत्यु के शाश्वत सत्य को बरकरार रख सकते हैं अन्यथा शीघ्र विनाश की ज्वालामुखी देखने के लिए तैयार रहें। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #KKPC16 #विशेषप्रतियोगिता #जीवन_मृत्यु #मेरी_ख्वाहिश #साहिल