तुम शाम की तरह ढलती थी मैं तारों सा जगमगाया था ! तुम चाँद की ख्वाहिश करती थी मैं अपनी रौशनी लाया था !! चाँद की चांदनी उधार की है पर किसमत उसकी कमाल की है ! खुद का नहीं कुछ पास है उसके पर ख्वाहिश सबको उसी की है !! सवाल है फिर भी आँखों में क्यों साथ ये अपना छूट गया ! प्यार में हर पल जल जल कर एक रोज़ ये तारा टूट गया !! #BiiterTruth