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तुम शाम की तरह ढलती थी मैं तारों सा जगमगाया था !

तुम शाम की तरह ढलती थी 
मैं तारों सा जगमगाया था !
तुम चाँद की ख्वाहिश करती थी 
मैं अपनी रौशनी लाया था !!

चाँद की चांदनी उधार की है 
पर किसमत उसकी कमाल की है !
खुद का नहीं कुछ पास है उसके 
पर ख्वाहिश सबको उसी की है !!

सवाल है फिर भी आँखों में
क्यों साथ ये अपना छूट गया !
प्यार में हर पल जल जल कर 
एक रोज़ ये तारा टूट गया !! #BiiterTruth
तुम शाम की तरह ढलती थी 
मैं तारों सा जगमगाया था !
तुम चाँद की ख्वाहिश करती थी 
मैं अपनी रौशनी लाया था !!

चाँद की चांदनी उधार की है 
पर किसमत उसकी कमाल की है !
खुद का नहीं कुछ पास है उसके 
पर ख्वाहिश सबको उसी की है !!

सवाल है फिर भी आँखों में
क्यों साथ ये अपना छूट गया !
प्यार में हर पल जल जल कर 
एक रोज़ ये तारा टूट गया !! #BiiterTruth
akvaibhav2382

Ak.vaibhav

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