"पैनसिल" अहम् छोड़ कर अपना, गलती झट स्वीकार कर अपनी मेहनत को एक ही पल में मिटाकर साथ सही का देती अपना फ़र्ज मानकर विध्या का रखती ध्यान नित खुद घट घटकर ऐसी है ये महान् हम नादानो की जान दिखती हर रूप में न्यारी हमारी पैनसिल बड़ी प्यारी।। #pencil#challenge#poetry#Ramandeep