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आलेख....आज का स्वतंत्र भारत **********************

आलेख....आज का स्वतंत्र भारत
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हमारा देश भारत है,नदी गोदावरी-गंगा,
लिखा भूगोल पर युग ने हमारा चित्र बहुरंगा।
 कवि...आरसी प्रसाद सिंह

इन पंक्तियों में व्याखित भारत  का भौगोलिक विस्तार मानो विधाता की कलाकारी का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। सोने की चिड़ियाँ कहा जाने वाला हमारे वैभवशाली देश को सदियों की दासता और गुलामी की काली छाया ने मलीन कर दिया था परंतु इक्कीसवीं  सदी की दहलीज पर खड़ा हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी से निकल कर बड़ी तेजी से प्रगती पथ पर चलते हुए विकसित देशों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराने में अग्रणी रहा है।
 आज का भारत अंतरिक्ष  से लेकर चिकत्सकीय अनुसंधान में  विश्व के कंधों से कंधा मिलाकर खड़े होने की क्षमता रखता है। आज  देश के गाँव के कोने - कोने में कंप्यूटर क्रांती ने बदलाव  की हवा को स्वीकार किया है। सरकारी क्षेत्र हो या ग्रमीण पंचायत या ब्लॉक सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर पर कार्य को नेटवर्क से जोड़कर कर किया जा रहा है। बड़े -बड़े उद्योग घरानों ने मल्टीनेशनल कंपनीयों का दर्जा हासिल कर विदेशों में अपनी धाक जमायी है। भारत औद्योगिक जगत में आँठवा , परमाणु उर्जा में छटा और अंतरिक्ष  विज्ञान में पाँचवा स्थान प्राप्त कर सफलता की दिशा में निंरतर  आगे बढ़ता जा रहा है।
विगत वर्ष 2019 में 22 जुलाई को इसरो ने   3840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को जीएसएलवी MK-III M1 रॉकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था। जिसने पूरी दुनिया में भारत की अंतरिक्ष शक्ती का  लोहा मनवाया। इसी वर्ष 15 फरवरी को  पहली बार  104 उपग्रह एक साथ अंतरिक्ष में इसरो द्वारा भेजे गए है। इस सफल प्रक्षेपण में भारत के 3 सैटेलाइट शामिल है, जब कि इनमे अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के भी सैटेलाइट शामिल हैं.104 उपग्रहों में अमेरिका के 96 उपग्रह शामिल है। केवल अंतरिक्ष में ही नही बल्कि इसी साल भारतीय वैज्ञानिकों ने विदेशी वैज्ञानिकों के साथ मिल कर गेहूं के जीनोम को सीक्वेंस किया। गेहूं का जो जीनोम है वो बहुत बड़ा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक दिल्ली और लुधियाना की लैबॉरेट्री में इस जीनोम को सीक्वेंस किया। इस सफलता से भारत को अपनी खाद्य सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद मिलेगी।
ज्ञान ,आध्यात्म,कला ,संस्कृति ,साहित्य में विश्व पटल पर अपनी अद्भुत बहुरंगी  आभा  बिखेरता हमारे देश भारत  की मूल शक्ती ,यहाँ के जन गण मन में बसा दर्शन ही है जो  विश्व को वसुधैव  कुटुम्बकम्  का संदेश देता है। वेदों ,उपनिषदों,महाभारत , रामायण मात्र धार्मिक ग्रंथ ना होकर बल्कि दिशा निर्देश व मार्गदर्शन  करने वाली आचार संहिता है जो हमें संसार में शांति ,सुरक्षा सद्भाव  के लिये प्रेरित करती है।  
आज विश्व भयंकर वायरस कोरोना से त्रस्त है । जहाँ विश्व के विकसित राष्ट्र इसके आगे घुटने टेक दिये हैं ,वहीं हमारा देश भारत  ने इसके खिलाफ युद्ध छेड़ते हुए न केवल इसका सफल टीका (वैक्सीन) बनाई बल्कि दुनिया की विशालतम जनसंख्या  वाले देश में १०० करोड़ टीके के लक्ष्य को पूरा करते हुए ,इस संक्रमण को रोकने में सफलता प्राप्त की है।  यह हमारे मनोबल ,आधयात्म व इच्छा शक्ति की विजय का शंखनाद ही है।  हमारे देश के प्राचीन ज्ञान, विज्ञान की विजय पताका आज पूरे विश्व में लहरा रही है।  हमारे देश मेें  अपनी दिव्यता की छटा  बिखेरते एक ओर  मुनि गौतम ,कनाद, कपिल, चैत्नय,रामानुज,आर्यभट्ट हैं तो दूसरी ओर  वालमीकि ,  व्यास,  गौतमबुद्ध ,  कालिदास, कबीर, रहीम और तुलसीदास जैसे महाज्ञानियों के कारण भारत की विजय-वैजयंति संसार में फहरा रही है। 
अत: हमार  स्वतंत्र आत्मनिर्भर भारत आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हुए ,विश्व गुरू की भूमिका निभाने को अग्रसर है।

--- मनीषा 'सुमन'

©manisha suman
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