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जब मैंने कहा प्रेम को परख नहीं सकते हाँ अग़र उसे जा

जब मैंने कहा प्रेम को परख नहीं सकते
हाँ अग़र उसे जानना है तो निरख सकते हैं।
अपनी महकती हुई साँसों में।
चमकती हुई आँखों में।
भोर में बिखरती किरणों से
गौधूलि बेला में उड़ते तिनकों में।
बहकते हुए से दिन में-
दहकती हुई सी रातों में-
कुछ कही अनकही बातों में
ख़ामोश लबों की मुस्कुराहट में
तन्हाई की चिड़चिड़ाहट में
धड़कन की बिलबिलाहट में
हवा के झोंके की आहट में
पूर्णिमा के चाँद में
अमावस्या के नाँद में
मन की शान्ति में
और व्यवहारिकता की क्रांति में।
हम प्रेम को निरख सकते हैं। ♥️ Challenge-807 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
जब मैंने कहा प्रेम को परख नहीं सकते
हाँ अग़र उसे जानना है तो निरख सकते हैं।
अपनी महकती हुई साँसों में।
चमकती हुई आँखों में।
भोर में बिखरती किरणों से
गौधूलि बेला में उड़ते तिनकों में।
बहकते हुए से दिन में-
दहकती हुई सी रातों में-
कुछ कही अनकही बातों में
ख़ामोश लबों की मुस्कुराहट में
तन्हाई की चिड़चिड़ाहट में
धड़कन की बिलबिलाहट में
हवा के झोंके की आहट में
पूर्णिमा के चाँद में
अमावस्या के नाँद में
मन की शान्ति में
और व्यवहारिकता की क्रांति में।
हम प्रेम को निरख सकते हैं। ♥️ Challenge-807 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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