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सारे रिश्ते - नाते तोड़ आया हूँ , ग़ैरों के ख़ातिर अ

सारे रिश्ते - नाते तोड़ आया हूँ , 
ग़ैरों के ख़ातिर अपनो को ही छोड़ आया हूँ ।

अब एक सवाल सा रह गया दिल में की ,
छोड़ उन्हें आया हूँ या ख़ुद को ही तोड़ आया हूँ ।

अब मंज़िल का तो कोई पता नहीं ,
ख़ुद को कहीं आधी राह में ही छोड़ आया हूँ ।

जिस्म से तो फिरता रहा हूँ दरबदर ,
पर शायद रूह वहीं छोड़ आया हूँ ,
जहाँ अपनों से रिश्ता तोड़ आया हूँ ।

अब सिर्फ़ एक टूटा हुआ साज़ हूँ , 
जो किसी ने नहीं सुनी वो अनकही आवाज़ हूँ ।

अब तो ख़ुद में ही एक राज़ 
और ख़ुद से ही नाराज़ हूँ ,

सारे रिश्ते - नाते तोड़ आया हूँ , 
ग़ैरों के ख़ातिर अपनो को ही छोड़ आया हूँ । #Alone
सारे रिश्ते - नाते तोड़ आया हूँ , 
ग़ैरों के ख़ातिर अपनो को ही छोड़ आया हूँ ।

अब एक सवाल सा रह गया दिल में की ,
छोड़ उन्हें आया हूँ या ख़ुद को ही तोड़ आया हूँ ।

अब मंज़िल का तो कोई पता नहीं ,
ख़ुद को कहीं आधी राह में ही छोड़ आया हूँ ।

जिस्म से तो फिरता रहा हूँ दरबदर ,
पर शायद रूह वहीं छोड़ आया हूँ ,
जहाँ अपनों से रिश्ता तोड़ आया हूँ ।

अब सिर्फ़ एक टूटा हुआ साज़ हूँ , 
जो किसी ने नहीं सुनी वो अनकही आवाज़ हूँ ।

अब तो ख़ुद में ही एक राज़ 
और ख़ुद से ही नाराज़ हूँ ,

सारे रिश्ते - नाते तोड़ आया हूँ , 
ग़ैरों के ख़ातिर अपनो को ही छोड़ आया हूँ । #Alone