मां स्वप्न में भी दुआ देते दिखाई देती है, श्वेताम्बर उलझे से बाल, झुर्रियों वाले गाल, कितना अनुभव,कैसे गुजारे नब्बे साल, बिन चश्मे के सुई में धागा डाल लेती है, आज भी उठती है बड़े सकारे, घूम कर देखती है हर चीजों को बिना सहारे, जब भी मां गुस्से में होती है, उस दिन बो देर तक सोती है, पूरा घर उसके गुस्से से कांप जाता है, फिर मै जाता हूं पास उसके पूछता हूं, क्या हुआ होगा मेरा मन भांप जाता है, कुछ देर गुस्सा दिखाएगी, सबकी शिकायत बारी बारी से मुझे बताएगी, आज भी जब मैं तक ड्यूटी से घर नहीं आ जाता, मां ताकती रहती है मेरी राह,चैन नहीं आता, मेरी मां मेरा कितना रखती है ख्याल, ईश्वर से यही है प्रार्थना,मेरी मां जिए हजारों साल, मेरी मां जिए हजारों साल,