कोई तुमसे पूछे कौन हूँ में तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ..... एक दोस्त है कच्चा पक्का सा एक झूठ है आधा सच्चा सा जज़्बात को ढके एक पर्दा बस एक बहाना है अच्छा सा...... जीवन का एक ऐसा साथी है जो पास होके भी पास नहीं कोई तुमसे पूछे कौन हूँ में तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ..... एक साथी, जो अनकही कुछ बातें कह जाता है यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है यूं तो उसके न होने का कुछ ग़म नहीं पर कभी-कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है यूं रहता तो मेरे तस्सव्वुर में है पर इन आखों को उसकी तलाश नहीं कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं तुम कह देना कोई ख़ास नहीं.... --दुर्गा बंगारी #bas itni si baat#