आज सांसों को उखड़ ते देखा जिंदगी से अपनों का साथ छूटते देखा
उखड़ी उखड़ी सांसों की चाल को देखा
रब को मिलते देखा आसानी से कुछ समझ ना पाई
वक्त से पीछे जाते देखा तो हैरत सी हुई
जमी पर मेरी लाश मैं आसमां में
मेरे खुदा के पास
खुद को खुद से जीतते दिखा खुद को खुद से हारते देखा
P sunder