हा माना आज थोड़े बिखरें ह़ै। कल हम फिर समेट लेगें। यह राजपूत हमारें हैं। हम फिर सें जगा लेगें। बेशक यह बिखरें हैं पर भूलें नहीं हैं। माना दुर हैं पर अकेले नही हैं। फिर हो जायेगें एक और कहलायेंगे राजपूत साम्राज्य ।।जय भावानी जय राजपूताना।। ©pratibha Singh thakur राजपूत