मोहोब्बत की तो मोहोब्बत हाँथ आई। नफ़रत की तो नफ़रत हाँथ आई। इबादत की तो चाहत हाँथ आई। मेहनत की तो दौलत हाँथ आई। मिला नही कुछ भी मेरे किये के अलावा। जो किया मैंने वहीं वापस मेरे हाँथ आई। इस कहानी से मैं लोगों को ये बताना चाहता हूँ कि हम जो करते हैं हम वही वापस मिलता है।