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सुदामा के जैसा कोई स्वाभिमानी भक्त नहीं है कन्हैय

सुदामा के जैसा कोई स्वाभिमानी भक्त नहीं है 
कन्हैया के जैसा उपकारी कोई दोस्त नहीं है....  कहते है मित्रता का रिश्ता पाक रूह की तरह होता है.........
जो निभाया भी बड़ी शिद्द्त के साथ जाया जाता है.......
एक अनसुलझी पहेली सी लगती है कान्हा जी की और सुदामा जी की दोस्ती .....
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सुदामा के जैसा कोई स्वाभिमानी भक्त नहीं है 
कन्हैया के जैसा उपकारी कोई दोस्त नहीं है....  कहते है मित्रता का रिश्ता पाक रूह की तरह होता है.........
जो निभाया भी बड़ी शिद्द्त के साथ जाया जाता है.......
एक अनसुलझी पहेली सी लगती है कान्हा जी की और सुदामा जी की दोस्ती .....
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