Nojoto: Largest Storytelling Platform

न रोने की वजह थी ना हँसने के बहाने थे काग़ज की कश्त

न रोने की वजह थी ना हँसने के बहाने थे
काग़ज की कश्ती और खुशियों के फ़साने थे

ना एडिडास के जूते थे ना महंगी चीजों का था चाओ
पैरों में चप्पल थीं और कंधे पर बस्ते पुराने थे

ना खोने का डर था ना कुछ पाने की होड़
मिट्टी के महल और कट्टी बट्टी के जमाने थे

ना सौ% लाने थे ना अखबारों में छपना था
बारिश में दौड़ थी होटो पर सबके तराने थे

वो सच्ची-सी कहानी और भोली-सी शैतनिया थीं
तब साँप-सीढ़ी, लूडो और खो-खो के जमाने थे

©Parveen kaushik
  #bachpan #BitaHuakal #Dosti #masumiyat #Gulzar #rahatindori #tehzeeb #tehzeebhaafi #Jounelia #Poetry