है बहारें बाग दुनिया चंद रोज देख लो इसका तमाशा चंद रोज क्यों सताते हो दिले बेजुमर को जालिमों है ये जमाना चंद रोज याद कर तु एे रुह कबरो के रोज जिंदगी का है भरोसा चंद रोज।। 🌹💞।। ठाकुर राजा दिनेश सिंह दुर्गवंश 🌹💞 कब्रों के रोज