तुझे बयां क्या करूं...! तेरी 'मासूमियत' और 'प्यारेपन' के आगे, हर लफ़्ज़ "बेचारा" निकला... भीड़ लगी थी ख़ुदा के दरवाज़े पर.... !! कुछ "नायाब" पाने वालों की... उछाला गया जब जब 'रहमत-ए-इश्क' का सिक्का , तो हर मर्तबा, "तू" सिर्फ हमारा निकला .....!! #🙏🙏❤️💕😘✍️ तू हमारा निकला 😘😘💕💕