बचपन में आती थी, दो बूंद जिंदगी की, ना जाने उस समय वो दो बूंद भी बेकार क्यों लगती थी, जैसे जैसे बड़े हुए, उस दो बूंद से छुटकारा मिला, पर क्या पता था, की आएगी जवानी जब, तो दो डोज ज़िन्दगी से सामना होगा, उस समय तो समझ नहीं थी ज़िन्दगी की, पर जब आज नहीं मिल रही डोज तो समझ आ रहा, बचपन में सब क्यों कहते थे, बेटा ये दो बूंद जिंदगी की जरूरी है... ©SUMIT VERMA #covid19 #vaccine #Vaccination #indiajeetegacoronaharega #godwithus #goahead #writercommunity #Poetry #COVIDVaccine