खबर आती है कि संगतों को दर्शन दे के निहाल करते हो। मेरे गरीब नवाज इस तरह हमारी खबर ले के कमाल करते हो। लुटा के अनमोल खजाना दौलत-ए-नाम का हम पर मेरे मुर्शिद हम मुफलिसों को इस कद्र मालामाल करते हो। इस अंधेरी नगरी में प्यारे जब सूझे न कोई संग सखा रे हाथ दे के जीव को इस भवसागर से निकाल लेते हो। आते हो हमारी खातिर हाड माँस का चोला ओढ़ कर अपने जीवों के कल्याण को क्या क्या तुम दीनदयाल करते हो। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ दीनदयाल