भटकते भटकते लेकिन मंजिल पाई थी तूफानों की मर्ज़ी लेकिन साहिल पाई थी हमारे साथ साथ नज़र आने लगी थी आई थी ज़रा मगर बेबसी संगदिल आई थी संभले नहीं मगर थोड़े होशियार होने लगे फैसले की घड़ी मगर मुश्किल दिल दुहाई थी प्यारे बने किस्से जो भी तामीर कलम हुए इश्क़ की गाढ़ी सियाही हासिल इन्तिहाई थी आखिर आखिर बिछड़ों को एक होना था बरसों बाद इलज़ाम में मिली अब रिहाई थी वक्त को पहचान कर साबित क़दम रहना सीख किस्से ने आखिर के सफहों में सुनाई थी gradually #life #learning #experience #passion4pearl #journey #yqtales #yqdiary #yqthoughts