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तेरी तलब (ग़ज़ल) बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से

तेरी तलब (ग़ज़ल)

बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया,
पल में सारे समां के साथ साथ जिंदगी का जायका बदल गया।

जीने लगे तेरे ही ख्वाबों खयालों में रात और दिन शाम-ओ-पहर,
तेरे तसव्वुर के सिवा जिंदगी में कोई भी ख्वाब बाकी ना रह गया।

तेरी तलब ऐसी लगी है कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई,
हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया।

कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयों से सजा दी,
चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया।

तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती,
तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। #KKPC27
#kkप्रीमियम
#कोराकागजप्रीमियम
#प्रीमियमग़ज़ल
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकागज
#कोराकागज
तेरी तलब (ग़ज़ल)

बेस्वाद सी जिंदगी को मेरी जब से तेरे प्यार का स्वाद लग गया,
पल में सारे समां के साथ साथ जिंदगी का जायका बदल गया।

जीने लगे तेरे ही ख्वाबों खयालों में रात और दिन शाम-ओ-पहर,
तेरे तसव्वुर के सिवा जिंदगी में कोई भी ख्वाब बाकी ना रह गया।

तेरी तलब ऐसी लगी है कि मेरी सारी की सारी दुनियाँ बदल गई,
हर पल हर घड़ी खुदा से दुआओं में तुझे ही मांगने दिल लग गया।

कट रही थी मेरी जिंदगी तन्हाइयों में तूने शहनाइयों से सजा दी,
चाहने लगे दिल-ओ-जान से ज्यादा जाने तू कैसा जादू कर गया।

तेरे बिना जिंदगी जीने की "एक सोच" कभी सोच भी नहीं सकती,
तेरा नाम दिल के साथ-साथ हाथों की लकीरों पर भी लिख गया। #KKPC27
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