वो मेरे बाद रोया किसी गैर की खातिर, मैं भी खामोश रहा उससे बैर की खातिर, तूफ़ान गर चाहे तो बदल सकता हैं रुख शम-ए-दैर की खातिर, पर हम तो राह भी नहीं बदल सकते कभी लुत्फ-ए-सैर की खातिर.... #गैर #बैर #शम_ए_दैर #लुत्फ_ए_सैर #खातिर #राह #तूफ़ान #शायर_ए_बदनाम