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बातचीत 1 (Caption) एक दोस्त से किसी आम सी फोनकॉल क

बातचीत 1
(Caption) एक दोस्त से किसी आम सी फोनकॉल के बीच:
मैं - यार, ये इमोशनल अटैचमेंट क्यों हो जाती है, अकेले नहीं रह सकते हम?
वो - देख हमें कोई चाहिए होता है बात करने के लिए। बात करना आदत मत बनाना।
मैं - हाँ यार, मगर मुझे तो समझ ही नहीं आता कैसे ? मैं तो अटैच हो जाती हूँ
वो - कई बार तो हम दूसरों को देख कर भी अपने लिए कोई चाहते हैं
मैं - हाहा, सच में। सब सिंगल होते तो ठीक था। यार, शादी कर लूँ ? कब तक चलेगा ये सब।
वो - अरे अभी उम्र ही क्या हुई है। अभी बहुत लोग मिलेंगे, अलग अलग तरीके से जुड़ेंगे, अलग अलग तरीके से छोड़ेंगे, अलग अलग तरीके से दिल तोड़ेंगे, बी रेडी।
मैं - हाँ, लगता भी है दिल और टूट सकता है, अभी बाकी है बहुत कुछ।
बातचीत 1
(Caption) एक दोस्त से किसी आम सी फोनकॉल के बीच:
मैं - यार, ये इमोशनल अटैचमेंट क्यों हो जाती है, अकेले नहीं रह सकते हम?
वो - देख हमें कोई चाहिए होता है बात करने के लिए। बात करना आदत मत बनाना।
मैं - हाँ यार, मगर मुझे तो समझ ही नहीं आता कैसे ? मैं तो अटैच हो जाती हूँ
वो - कई बार तो हम दूसरों को देख कर भी अपने लिए कोई चाहते हैं
मैं - हाहा, सच में। सब सिंगल होते तो ठीक था। यार, शादी कर लूँ ? कब तक चलेगा ये सब।
वो - अरे अभी उम्र ही क्या हुई है। अभी बहुत लोग मिलेंगे, अलग अलग तरीके से जुड़ेंगे, अलग अलग तरीके से छोड़ेंगे, अलग अलग तरीके से दिल तोड़ेंगे, बी रेडी।
मैं - हाँ, लगता भी है दिल और टूट सकता है, अभी बाकी है बहुत कुछ।