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"बदलते परिवेश में मोहब्बत" जैसे बचपन अलग और जवानी

"बदलते परिवेश में मोहब्बत"

जैसे बचपन अलग और जवानी कुछ और होती है,
उसी तरह मोहब्बत में दुश्वारियां कुछ और होती हैं।
वरक़ पर लिखे गये जज़्बात बयां कुछ और करते हैं,
किस्से कुछ और होते हैं मुँह ज़ुबानी कुछ और होती है।
किसी की अधूरी तो किसी की मुकम्मल होती है,
हर किसी के मोहब्बत की कहानी कुछ और होती है।
पुराने दौर जैसा मोहब्बत नहीं निभाते प्यार करने वाले,
अब वफ़ादारी और इश्क-ए-रूमानी कुछ और होती है।
साज़ और मौसीक़ी की बातें कहां समझ पाते हैं प्रेमी,
अब गज़लें और नज़्मों की रवानी कुछ और होती है।
हाय!ये क्या हाल बना लिया है मोहब्बत में तुमने अपना,
बात कह कुछ और जाते हो, बतानी कुछ और होती है।  "साज़ - musical instrument"
"मौसीक़ी - संगीत कला"
"बदलते परिवेश में मोहब्बत"

जैसे बचपन अलग और जवानी कुछ और होती है,
उसी तरह मोहब्बत में दुश्वारियां कुछ और होती हैं।
वरक़ पर लिखे गये जज़्बात बयां कुछ और करते हैं,
किस्से कुछ और होते हैं मुँह ज़ुबानी कुछ और होती है।
किसी की अधूरी तो किसी की मुकम्मल होती है,
हर किसी के मोहब्बत की कहानी कुछ और होती है।
पुराने दौर जैसा मोहब्बत नहीं निभाते प्यार करने वाले,
अब वफ़ादारी और इश्क-ए-रूमानी कुछ और होती है।
साज़ और मौसीक़ी की बातें कहां समझ पाते हैं प्रेमी,
अब गज़लें और नज़्मों की रवानी कुछ और होती है।
हाय!ये क्या हाल बना लिया है मोहब्बत में तुमने अपना,
बात कह कुछ और जाते हो, बतानी कुछ और होती है।  "साज़ - musical instrument"
"मौसीक़ी - संगीत कला"