किस ग़लती की सज़ा दे रहे हो, क्या वज़ह है, जो इतना आज़्मा रहे हो, दुनिया की परवाह का दायरा जितना बढ़ाओ गे, बाद में दोष ख़ुद को दे या दुनिया को, इसी कश्मकश में एक दिन, ख़ुद को तुम भूल जाओगे...! ©Umesh kumar #कशमकश