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ओ सजना... बरखा बहार आयी रस की फुहार लायी अँखियों म

ओ सजना...
बरखा बहार आयी
रस की फुहार लायी
अँखियों में प्यार लायी
ओ सजना...

तुम को पुकारे मेरे 
मन का पपीहरा
मीठी मीठी अगनी में 
जले मोरा जियरा
ओ सजना...

ऐसे रिमझीम में ओ सजन
प्यासे प्यासे मेरे नयन 
तेरे ही ख्वाब में खो गये
साँवली सलोनी घटा 
जब जब छायी
अँखियों में रैना गयी
निंदीया ना आयी
ओ सजना...
  
  - गीतकार शैलेंद्र ओ सजना...
बरखा बहार आयी
रस की फुहार लायी
अँखियों में प्यार लायी
ओ सजना...

तुम को पुकारे मेरे 
मन का पपीहरा
ओ सजना...
बरखा बहार आयी
रस की फुहार लायी
अँखियों में प्यार लायी
ओ सजना...

तुम को पुकारे मेरे 
मन का पपीहरा
मीठी मीठी अगनी में 
जले मोरा जियरा
ओ सजना...

ऐसे रिमझीम में ओ सजन
प्यासे प्यासे मेरे नयन 
तेरे ही ख्वाब में खो गये
साँवली सलोनी घटा 
जब जब छायी
अँखियों में रैना गयी
निंदीया ना आयी
ओ सजना...
  
  - गीतकार शैलेंद्र ओ सजना...
बरखा बहार आयी
रस की फुहार लायी
अँखियों में प्यार लायी
ओ सजना...

तुम को पुकारे मेरे 
मन का पपीहरा