कहाँ बात तेरी कहाँ बात मेंरी होगी,
मात वक़्त ने दी,तो सोच किसकी ज़िम्मेदारी होगी।
खेल किस्मत के हों तो आग पानी में लग जाती है,
फिर तू ही बता,क्या तेरी क्या मेरी वफादारी होगी।
धूमिल होते ख्वाबों के घरौंदे, मिट्टी में हर ख्वाहिश होगी,
मोहब्बत तेरी न मेंरी ,ज़िंदा केवल अपनी खुद्दारी होगी।