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Ek Gazal Dar baya karti hui aap sabhi ko nazar kar

 Ek Gazal Dar baya karti hui aap sabhi ko nazar kar raha hu
 हुई बेआबरु जब वो नन्ही कली
सागर रोये, पत्थर भी झन्ना उठे।

पडी बूंद लहू की जब गिरकर
सिंहासन दुर्ग के भी काप उठे।

इतने जुल्म ना कर बेकसूरों पर
 Ek Gazal Dar baya karti hui aap sabhi ko nazar kar raha hu
 हुई बेआबरु जब वो नन्ही कली
सागर रोये, पत्थर भी झन्ना उठे।

पडी बूंद लहू की जब गिरकर
सिंहासन दुर्ग के भी काप उठे।

इतने जुल्म ना कर बेकसूरों पर