दोहरे लोग सोचा आज एक मुश्किल काम कर लूं। एक पूरा दिन खुशी के नाम कर लूं । बहुत किया प्रयास पर हो गया निराश। जब सब ने पूछा इतनी खुश क्यों हुआ आज। देख कर मुझे ना जाने क्यों थे लोग हैरान। खुश थे मुझे देखकर या हो रहे थे परेशान । नहीं जान पाया मैं क्या है उनके मन में शंका। संतुष्ट है मुझे देखकर यह जल रही है लंका। हैरान हूं मैं देखकर लोगों का रूप दोहरा। जब होता हूं दुखी तो ,देते हैं सांत्वना । जब देखा हूं खुशी तो ,हो रही है खुद को चिंता। दोहरे लोग