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......श्री गणेशाय नमः...... "वरदान बना अहंकार" एक

......श्री गणेशाय नमः......
"वरदान बना अहंकार"
एक व्यक्ति ने घोर तपस्या किया, ब्रम्हा जी प्रगट हुवे और बोले वर
मांगो, उस व्यक्ति ने मांगा कि मैं अपने दृष्टि से जिसे गुस्से से देखूं
वो भस्म हो जाय, तथास्तु कह कर ब्रम्हा जी चले गए। कुछ दिन
बीता वो व्यक्ति एक पेड़ के पास बैठा था, एक चिड़ियां ने उस व्यक्ति
के सिर पर बिट कर दिया, उस व्यक्ति ने गुस्से से देखा चिड़ियां मर
गई, उसके बाद अहंकार में चूर होकर एक घर में भिक्षा मांगने गया
और बोला, अरे जल्दी भिक्षा लाकर बाबा को दे, अंदर से कड़कती
आवाज़ में एक औरत बोली वहीं बैठ अपने पति का पैर दबा रही
हूं जब फुर्सत मिलेगी भिक्षा दूंगी मैं वो चिड़ियां नहीं जिसे तुम जला
दोगे, वो व्यक्ति डरकर बैठ गया और सोचने लगा कि ये औरत भला
चिड़ियां वाली बात कैसे जान गई। कुछ देर बाद वो औरत भिक्षा
लाई और दे दी। वो व्यक्ति पूछने लगा आपको चिड़ियां वाली बात
कैसे पता चला उस औरत ने एक कसाई के पास भेज दिया कि
इस प्रश्न का जवाब वो कसाई देगा, वो व्यक्ति कसाई के पास गया
और कुछ पूछने से पहले ही कसाई ने कहा उस औरत ने भेजा है
न बैठ, एक बकरा काट के आता हूं तब बात करेंगे, वो व्यक्ति सभी
घटनाओं से चकित हो रहा था, कसाई आया और बोला, वरदान
पाकर तूं घमंडी हो गया है, और वरदान का दुरुपयोग कर रहे हो
वो औरत अपने पति सेवा से और मैं माता पिता की सेवा से ज्ञान
प्राप्त किए हैं, उस व्यक्ति का अहंकार चूर हो गया। जय श्री राम।

©R K Mishra " सूर्य "
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