शौख चंचल अदा, मदमस्त हया, फिर बहकाने आई हैं जरा देखलो, जो पहले कभी हम पर मरते थे, आज फिर मरने आई हैं जरा देखलो, वो वक्त और था ये वक्त और है, कैसे बदला जमाना जरा सोचलो, मैं हूं वही जो पहले भी था, क्या बदला है मुझमें जरा सोचलो, उसके गम को सदा अपना समझा, उसकी खातिर न मैने खुद को समझा, था जिसने हमको छोड़ा कभी, आज अपना बनाने आई हैं जरा देखलो, वो मोहब्बत की बाहें फैलाए हुवे, आज फिर मरने आए हैं जरा देखलो...! आज फिर मरने आई हैं............!