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लिखते-लखते रुक जाते हैं मन-ही-मन सुध खो जाते है

लिखते-लखते रुक जाते हैं
   मन-ही-मन सुध खो जाते हैं।
भाव-मगन में पिरो के माला,
    स्वप्न डगरिया सो जाते हैं।
          लिखते-लिखते.....
  
 समझ सके मर्मज्ञ-हृदय को,
    पीर पराई लिख जाते हैं।  
शब्द-भाव-संयोग आधूरा,
    असमंजस में कर जाते हैं।
       लिखते-लिखते.....

©संवेदिता "सायबा"
  लिखते-लखते रुक जाते हैं
   मन-ही-मन सुध खो जाते हैं।
भाव-मगन में पिरो के माला,
    स्वप्न डगरिया सो जाते हैं।
          लिखते-लिखते.....
  
 समझ सके मर्मज्ञ-हृदय को,
    पीर पराई लिख जाते हैं।

लिखते-लखते रुक जाते हैं मन-ही-मन सुध खो जाते हैं। भाव-मगन में पिरो के माला, स्वप्न डगरिया सो जाते हैं। लिखते-लिखते..... समझ सके मर्मज्ञ-हृदय को, पीर पराई लिख जाते हैं। #Thoughts #कविता #nojotohindi #लेखनी #NojotoFilms #samvedita #संवेदिता #सायबा #ModeratorNJTO

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