चौथा स्तम्भ ....! ...कठपुतली नहीं तो और क्या ? ©gudiya #Night कठपुतली हो रहे हैं वो भी दहाड़ना जिनकी फितरत है । जाने क्या दौर है जाने क्या ज़रुरत है ज़मीर अब नहीं जीते महज़ ज़िस्म ही सांस लेती है। चौथा स्तम्भ कठपुतली नहीं तो और क्या ? जब आपके सारे सरकारी काम लटक रहे हो और अखबारों में यह दिखाया जा रहा हो कि सब काम प्रोसेस में चल रहा है जबकि वास्तविकता आपको बहुत अच्छे से पता है