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कुछ हम थे डरे कुछ तुम थे डरे तभी तो गुप्तगू हम थे

कुछ हम थे डरे कुछ तुम थे डरे
तभी तो गुप्तगू हम थे किये
ढल गई कितनी सदियों का पहर
फिर भी कायम है अपना दोस्ती का सफ़र मित्र शशांक को जन्म दिवस की शुभकामनाएं
कुछ हम थे डरे कुछ तुम थे डरे
तभी तो गुप्तगू हम थे किये
ढल गई कितनी सदियों का पहर
फिर भी कायम है अपना दोस्ती का सफ़र मित्र शशांक को जन्म दिवस की शुभकामनाएं