शम्स के बिन सहर नहीं होगा। हुआ तो मोतबर नहीं होगा। रिवायात भूलने वालों सुन लो, जिस्म पर पैरहन नहीं होगा। मेरी उल्फत की पाकीज़गी से, तेरा दिल बेख़बर नहीं होगा। हूँ वाकिफ़ की मेरी चाहत का, तेरे दिल पे असर नहीं होगा। दिल ये बीमार मेरा होगा तब, जब कोई चारा-गर नहीं होगा। 'मधु' सहर - सुबह मोतबर- दिखने लायक चारा-गर - डॉक्टर रिवायत - संस्कृति पैरहन - वस्त्र, लिबास ©Madhusudan Shrivastava शम्स के बिन सहर नहीं होगा #Smile