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क्या हैं, यंत्र , तंत्र और मंत्र...!!! यंत्र, तंत्

क्या हैं, यंत्र , तंत्र और मंत्र...!!! यंत्र, तंत्र और मंत्र क्या हैं? क्या यह असरदार हैं? और अगर हैं तो किस तरह...!!

यंत्र , तंत्र और मंत्र जिसपर पुरा ब्रह्माण्ड चल रहा हैं। यह एक अकाट्य सत्य हैं, जिसे विज्ञान भी मान चुका हैं। क्योकी विज्ञान बात करता हैं सूत्रो की, और मंत्र कुछ और नही वही सूत्र हैं।
हर शक्ती का एक अलग सूत्र होता हैं, ठीक उसी प्रकार मंत्र होता हैं।
तंत्र एक प्रक्रिया हैं, जिसपर मंत्र का आह्वान होता हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी कार्य को प्रतिपादित करने के लिये जो प्रक्रिया अस्तित्व मे लायी जाती हैं, वही तंत्र हैं। जिसे आम या विज्ञान की भाषा मे process कहते हैं। और उस पर सूत्र apply करते हैं, उसे अमल मे लाने के लिये।
फिर बात आती हैं यंत्र की, यंत्र अर्थात् कोई मशीन। अब अगर विज्ञान के दृष्टिकोण से देखे तो, बिना process ,  और सूत्र के कोई मशीन नही बन सकती । 
ठीक ऐसा ही यहां भी हैं, बिना तंत्र के , और उस तंत्र पर मंत्र के आह्वान के बिना कोई यंत्र नही बन सकता।
हर चीज की शुरुवात एक मंत्र से ही होती हैं, जिसे विज्ञान सूत्र कहता हैं। हर सिद्धान्त का अलग सूत्र, हर कार्य का अलग सूत्र।
क्या हैं, यंत्र , तंत्र और मंत्र...!!! यंत्र, तंत्र और मंत्र क्या हैं? क्या यह असरदार हैं? और अगर हैं तो किस तरह...!!

यंत्र , तंत्र और मंत्र जिसपर पुरा ब्रह्माण्ड चल रहा हैं। यह एक अकाट्य सत्य हैं, जिसे विज्ञान भी मान चुका हैं। क्योकी विज्ञान बात करता हैं सूत्रो की, और मंत्र कुछ और नही वही सूत्र हैं।
हर शक्ती का एक अलग सूत्र होता हैं, ठीक उसी प्रकार मंत्र होता हैं।
तंत्र एक प्रक्रिया हैं, जिसपर मंत्र का आह्वान होता हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी कार्य को प्रतिपादित करने के लिये जो प्रक्रिया अस्तित्व मे लायी जाती हैं, वही तंत्र हैं। जिसे आम या विज्ञान की भाषा मे process कहते हैं। और उस पर सूत्र apply करते हैं, उसे अमल मे लाने के लिये।
फिर बात आती हैं यंत्र की, यंत्र अर्थात् कोई मशीन। अब अगर विज्ञान के दृष्टिकोण से देखे तो, बिना process ,  और सूत्र के कोई मशीन नही बन सकती । 
ठीक ऐसा ही यहां भी हैं, बिना तंत्र के , और उस तंत्र पर मंत्र के आह्वान के बिना कोई यंत्र नही बन सकता।
हर चीज की शुरुवात एक मंत्र से ही होती हैं, जिसे विज्ञान सूत्र कहता हैं। हर सिद्धान्त का अलग सूत्र, हर कार्य का अलग सूत्र।

यंत्र, तंत्र और मंत्र क्या हैं? क्या यह असरदार हैं? और अगर हैं तो किस तरह...!! यंत्र , तंत्र और मंत्र जिसपर पुरा ब्रह्माण्ड चल रहा हैं। यह एक अकाट्य सत्य हैं, जिसे विज्ञान भी मान चुका हैं। क्योकी विज्ञान बात करता हैं सूत्रो की, और मंत्र कुछ और नही वही सूत्र हैं। हर शक्ती का एक अलग सूत्र होता हैं, ठीक उसी प्रकार मंत्र होता हैं। तंत्र एक प्रक्रिया हैं, जिसपर मंत्र का आह्वान होता हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे किसी कार्य को प्रतिपादित करने के लिये जो प्रक्रिया अस्तित्व मे लायी जाती हैं, वही तंत्र हैं। जिसे आम या विज्ञान की भाषा मे process कहते हैं। और उस पर सूत्र apply करते हैं, उसे अमल मे लाने के लिये। फिर बात आती हैं यंत्र की, यंत्र अर्थात् कोई मशीन। अब अगर विज्ञान के दृष्टिकोण से देखे तो, बिना process , और सूत्र के कोई मशीन नही बन सकती । ठीक ऐसा ही यहां भी हैं, बिना तंत्र के , और उस तंत्र पर मंत्र के आह्वान के बिना कोई यंत्र नही बन सकता। हर चीज की शुरुवात एक मंत्र से ही होती हैं, जिसे विज्ञान सूत्र कहता हैं। हर सिद्धान्त का अलग सूत्र, हर कार्य का अलग सूत्र। #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual