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दफनाके खुद को मैंने, नए किरदार में ढाला है मैंने ग

दफनाके खुद को मैंने, नए किरदार में ढाला है
मैंने गिर के संभल के खुद को संभाला है
उखड़ गई हाथों से जब किस्मत की लकीरें
हर घाव को मैंने अपनो सा पाला है
टूट जाने पर हर शख्स से रिश्ता
मैंने हर रिश्ते को दिल मैं संभाला है
एक अधूरा सा सपना है कोने मै दिल के
जिसे हर दिन अपने पसीने से पाला है
हो जाऊ तबाह चाहे बाकी न कुछ हो
ना हो बस मैं मेरे चाहे कुछ भी कभी 
फिर भी हिम्मत को खुद आसमा तक उछाला है
छोड़ जाऊ कभी बिन बताए अगर 
मान लेना खुदा के वहा डेरा डाला है

©Gireesh Jat
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