भेद है। मतभेद भी। पर क्या हम भाई नही। मतभेद है विचारों की। कोई आपसी लड़ाई नही। क्या भूल जाऊंगा मैं। बस अपनी गरिमा के खातिर। बातों से शुरू।बातों पे ही खत्म। एक जंग के खातिर।। रहते हो साथ जो। कभी लड़ लेना। कभी प्यार से भाईजान कहके बुलाना। बुलाया था मैंने भी । वो दिवाली की मिठाई। याद होगा तुम्हे भी। आज ना आऊं तुम्हारे घर। अपनी ईद की ईदी लेने। अपने हिस्से की सेवई खाने।। हम हैं साथ। हम थे साथ।। अरे ये कोई त्यौहार नही। ये कोई पर्व नही। अरे ये तो बहाना है। मिल सके हम गले। भूल कर शिकवे - गिले। #eid #eidmubarak |#sharma_g_ke_kalam_se