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उसने हर बार _न सिर्फ़ मुझे तोड़ा...बल्कि मेरी रूह

उसने हर बार _न सिर्फ़ मुझे तोड़ा...बल्कि 
मेरी रूह, मेरे प्यार, मेरे जज़्बात, मेरी फिकर, मेरी क़दर 
मेरा मान _सम्मान, मेरा स्वाभिमान , मेरा वजूद , 
मेरी अहमियत , मेरी ज़रूरत, उसके प्रति मेरा गुरुर,
मेरी आस, मेरा अटूट विस्वास, मेरा दीवानापन 
मेरा पागलपन, मेरा समर्पण, मेरा निश्छल प्रेम मेरी भावना, 
सबका कत्ल कर डाला ...!
और...
 इतने बर्दाश्त  के बाद जब मुझे गुस्सा आया 
 तब बड़ी ही चालाकी से सारा दोष मेरे गुस्से पर डाल दिया...?

©Rishi
  #tootadil 
#नाउम्मीदी