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क्या मैं! कहीं हूं? सब और समाया हुआ! इस चमकती!💥 इ

क्या मैं! कहीं हूं? सब और समाया हुआ! इस चमकती!💥 इठलाती  अपनी सहेली ! प्रकृति देवी के भीतर, बाहर, सब और हूं ! मुझे ढूंढो! मैं कहां हूं ? घटाओं में, हवाओं में, पहाड़ों की घाटियों में! मैं यहां हूं, वहां हूं, परम  चेतना! मैं सब जगह हूं❗

©Satish Chand SHARMA
  मैं परम चैतन्य!

मैं परम चैतन्य! #कविता

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