White यूँ तो कहना हैं बहुत कुछ तुमसे बिन पानी के बादल होता हैं जैसे तुम बादल तो मैं बरसने वाली बरसात हैं कुछ ऐसा ही रिश्ता अपना भी । बिन शीत के पर्वत होता हैं जैसे तुम शीत तो मैं पर्वत में होने वाली शीतलता। हैं कुछ ऐसा ही रिश्ता अपना भी । बिन श्वास के देह होता हैं जैसे तुम देह तो मैं उसमें बहने वाली श्वास हैं कुछ ऐसा ही रिश्ता अपना भी । बिन स्मृति के यादों का होना जैसे तुम स्मरण तो मैं उसमें बनने वाली याद हैं कुछ ऐसा ही रिश्ता अपना भी । बिन उन्नति के उत्कर्ष होता हैं जैसे मैं उत्कर्ष तो तुम उसकी होने वाली उन्नति हैं कुछ ऐसा ही रिश्ता अपना भी । हो रिश्ता कुछ ऐसा अपना भी यादें और उन्नति का मिलन हो ऐसे यादों की स्मरण और उन्नति का उत्कर्ष मिले ऐसे की हो न अलग एक दूसरे से कभी जैसे । ©Utkarsh Gupta #good_night #Love #romance