....कवि की कविता.... सुबह की चाय और ठंडी हवा कलम और किताबें कोमल हाथों में कोमल भावनाएं ख्वाहिशों से भरे मन आंखों में सपनों को पाने की आस हाथों में लिखने के लिए ललक, ढेर सारी बातें चलती है मन में। बेढंगी दृश्य को मनोरम बनाता लिखता जाता मन की बात चाहे सावन का दिन हो या हो अमावस्या की रात है वह निरंतर लिखता जाता जो वो लिखता सब उसका हो जाता लिखते लिखते आगे बढ़ जाता। अपने मन की दुनिया बनाता सभी किरदारों को बेशक सजाता चाहे कोई कुछ भी कहें वह अपनी धुन में निरंतर लिखता जाता। अपनी कविता से सबको हंसाता गहरे समंदर में भी तैरना सिखाता कवि की कल्पना से सब परे है कवि दिन में भी है चांद दिखलाता। कवि बस निरंतर लिखता जाता चाहे कोई भी कठिनाई आए कठिनाई को कविता बना, उसे भी पार कर जाता एक कवि ही है जो मन में पूरा संसार दिखलाता गिर कर, उठ कर फिर ना गिरने की बात बतलाता। कवि और उनकी कविता बहुत कुछ है सिखाती जिंदगी को जिंदगी से है मिलाती खुद को है खुद से रूबरू कराती। अकेलेपन से भरे जीवन में खुद से प्यार करना है सिखाती कवि और उनकी कविता है बहुत कुछ सिखाती। ©Silentlover कवि की कविता.... #Gulzar