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भर अभिमान मैं ही महान रत्नाकर कहे गरजता.. नीर ना

भर अभिमान मैं ही महान
रत्नाकर कहे गरजता..
 नीर ना पीने जोग भले 
जितना सिन्धु सहजता...
(अर्चना'अनुपमक्रान्ति')
(अर्थ-अभिमानी व्यक्ति से परोपकार, 
सद्कर्म का विवेक छीनकर 
उसे पतन की ओर अग्रसर करता है।
ऐंसे व्यक्ति द्वारा सहेजी सम्पत्ति 
किसी के काम नहीं आती) ..

©Archana pandey
  #अभिमानी_सिन्धु