खामोशी शहर की हमें खाने लगी है ज़िन्दगी मौत से बस नज़र मिलाने लगी है बेबसी में अशरफ मुँह अपना छुपाए कहाँ नाकामी चेहरे पे अब छाने लगी है नफ्सा नफ्सि की फ़क़त झलक है यहाँ क़ायनात हमको हालात दिखाने लगी है सदियों की ज़िन्दगी कुन में बिखर गई तेरे फयाकुन की हक़ीक़त रुलाने लगी है हज़ार सजदों से ना मनाया गया ख़ालिक़ यहाँ ज़िन्दगी इबादत पे अब ख़ाक डालने लगी है शाह फैज़ अलीगढ #National_Safety_Day khan perfect💞 Suman Zaniyan Dr.Imran Hassan Barbhuiya Gufran khan Maha Khan