------(एक अधूरा इश्क़)--- इक अधूरी मुहब्बत की गजल लिख रही हूँ, हाँ मैं थोड़ा-थोड़ा ही सही पर तुझे पढ़ रही हूँ ।। तनहाई में जो बोल गीत के मैं गुनगुना रही थी, अपनी मुहब्बत का मैं अफसाना गढ़ रही हूँ ।। बड़ी गफलत में जी रहे थे हम अभी तक, अब तेरी फुरकत में मैं यूँ ही आगे बढ़ रही हूँ ।। यूँ गर्दिश में मेरे जीने की तुम सजा बन गए हो, भीड़ में भी आजकल मैं अकेले रह रही हूँ ।। इक अधूरी मोहब्बत की गजल लिख रही हूँ, हाँ मैं थोड़ा-थोड़ा ही सही पर तुझे पढ़ रही हूँ ।। ---प्रिया पाण्डेय "पीयू" फुरकत = वियोग/जुदाई #NojotoQuote ------(एक अधूरा इश्क़)--- इक अधूरी मुहब्बत की गजल लिख रही हूँ, हाँ मैं थोड़ा-थोड़ा ही सही पर तुझे पढ़ रही हूँ ।। तनहाई में जो बोल गीत के मैं गुनगुना रही थी, अपनी मुहब्बत का मैं अफसाना गढ़ रही हूँ ।।