नित जल का तर्पण करते हो पर क्या दिल से कभी याद किया.. जो श्राद्ध में श्रद्धा नहीं तो जो किया सब बेबुनियाद किया।। पितृपक्ष के अनेक नियम कर्म होते हैं सिर्फ जल तर्पण कर देना ही श्राद्ध का आधार नहीं है। श्राद्ध विधि एक भावना है जो मन से निभाई जाती है अपने पूर्वजों को याद कर। आजकल लोग अपना कर्म सुधारने व पाप से मुक्त होने के लिए श्राद्ध क्रिया करते हैं जो कि एक फॉर्मेलिटी बनकर रह गया है परंतु श्राद्ध का असली अर्थ पितृदोष से मुक्त होना व अपने पूर्वजों को खुश करना है। इन दिनों पितरों का उचित विधि से किया गया श्राद्ध उन्हे पितृ लोक में संतुष्टि देता है और आपको जीवन की अनेक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। Thank u