a-person-standing-on-a-beach-at-sunset दिल धड़कने का सबब याद आया वो तिरी याद थी अब याद आया आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्त तू मुसीबत में अजब याद आया तेरा भूला हुआ पैमान-ए-वफ़ा मर रहेंगे अगर अब याद आया दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से फिर तिरा वादा-ए-शब याद आया फिर कई लोग नज़र से गुज़रे फिर कोई शहर-ए-तरब याद आया हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन जब वो रुख़्सत हुआ तब याद आया बैठ कर साया-ए-गुल में 'नासिर' हम बहुत रोए वो जब याद आया @naasir kaazmi . ©दिवाकर #naasir